Laagi Kalejawa Kataar / लागी कलेजवाँ कटार
लागी कलेजावन कटार
सांवरिया से नैना हो गई चार.
बुंद ना गिरा एक लहू का
कचू ना राही निसानी
माणूस घायल पर तन पे छाया
मिठी ती सुहानी
सखी री मुख्य ते सुद-बुद्ध बैठी बिसार.
प्रीत की रीत सखी ना जानू
जीत हुई या हार ना मानू
जियारा करे इकरार अब मोरा.
गीत : लागी कलेजवाँ कटार
गीतकार : पुरुषोत्तम दारव्हेकर
गायक : पं. जितेंद्र अभिषेकी